Bhabhi ki Khushbu Ki Tareef Ki Shayari
1.Bhabhi तुम्हारी प्यार भरी निगाहों को देखकर
हमें कुछ गुमान होता है,
देखो ना मुझे इस कदर मदहोश नज़रों से
कि दिल बेईमान होता है।
2.चाँद के दीदार को bhabhi तुम छत पर क्या चले आये,
शहर में ईद की तारीख मुकम्मल हो गयी।
3.नहीं बसती किसी और की सूरत अब इन आँखो में,
काश कि हमने bhabhi आपको इतने गौर से ना देखा होता।
4.वजह पूछोगे तो सारी उम्र गुजर जाएगी,
कहा ना अच्छे लगते हो तो बस लगते हो ।
5.नशीली आँखों से वो जब हमें देखते हैं,
हम घबरा कर आँखें झुका लेते हैं,
कौन मिलाये उन आँखों से आँखें,
सुना है वो आँखों से अपना बना लेते हैं।
6.ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले,
तन्हाई मैं खुद अपनी तस्वीर न देखा कर …
7.लिख दूं किताबें भाभी तेरी मासूमियत पर
फिर डर लगता है...
कहीं हर कोई तेरा तलबगार ना हो जाय ।
8.धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल,
अभी तो पलकें झुकाई हैं
मुस्कुराना अभी बाकी है उनका।
9.तोहमते तो लगती रही
रोज़ नयी नयी हम पर,
मगर जो सबसे हसीन इलज़ाम था
वो तेरा नाम था ।
10.जैसे धुऐं के पीछे से सूरज का चमकना,
घने बादलों के पीछे से चाँद का खिलना,
पंखुडियाँ खोलकर कमल का खिलखिलाना,
वैसे घूँघट की आड से Bhabhi लाजवाब मुस्कुराना।
11.दुनिया में Bhabhi तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे
सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे
12.अभी भी Bhabhi तेरा हुस्न डालता है मुझको हैरत में
मुझे दीवाना कर देता है जलवा जानेमन तेरा
13.मस्ती निगाह ए नाज़ की कैफ ए शबाब में,
जैसे कोई शराब मिला दे शराब में।
14.परवाना पेशोपेश में है
जाए तो किस तरफ,
रौशन शमा के रूबरू
चेहरा है आप का।
15.क्या तुझे कहूं तू है मरहबा.
तेरा हुस्न जैसे है मयकदा
मेरी मयकशी का सुरूर है,
तेरी हर नजर तेरी हर अदा_
16.मेरा इश्क भी, तेरा हुस्न भी
गजलों में आके घुल गई
मेरी शायरी की किताब तू
कभी खो गई, कभी मिल गई
17.मेरा इश्क भी, तेरा हुस्न भी
गजलों में आके घुल गई
मेरी शायरी की किताब तू
कभी खो गई, कभी मिल गई
18.तेरी तरफ जो नजर उठी
वो तापिशे हुस्न से जल गयी
तुझे देख सकता नहीं कोई
तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं
19.तेरी तरफ जो नजर उठी
वो तापिशे हुस्न से जल गयी
तुझे देख सकता नहीं कोई
तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं
20.पता नहीं लबों से लब कैसे लगा लेते हैं लोग
तुमसे नजरें भी मिल जाये तो होश नहीं रहता ।
भाभी की खुबसूरती की तारीफ की शायरी
21.कम से कम bhabhi अपने बाल तो बाँध लिया करो ।
कमबख्त..,बेवजह मौसम बदल दिया करते हैं ।
22.आजा तुझे आसमान में ले चलूँ,
चाँद को उसकी औकात दिखाने।
23.शायद फिसल जायेगे पहली बार मेरे अरमान भी उस दिन…
क्यूंकि हुस्न उसका उस दिन यारो अल्फाज़ो से परे होगा…
चाँद भी उस दिन कुछ देर बदलो में छुप जाएगा…
क्यूंकी ज़मी पर उस दिन डोली में एक और चाँद सवार होगा.!
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24.कुछ इस तरह से वो मुस्कुराते हैं,
कि परेशान लोग उन्हें देख कर खुश हो जाते हैं,
उनकी बातों का अजी क्या कहिये,
अल्फ़ाज़ फूल बनकर होंठों से निकल आते हैं।
25.जैसे धुऐं के पीछे से सूरज का चमकना,
घने बादलों के पीछे से चाँद का खिलना,
26.खिलना कम कम कली ने सीखा है,
उस की आँखों की नीम-ख्वाबी से।
27.अच्छे लगे तुम सो हमने बता दिया,
नुकसान ये हुआ कि तुम मगरूर हो गए।
28.साहिबे अकाल हैं आप तो एक मसला हल कीजिये,
रुखे यार नहीं देखा क्या मेरी ईद हो गयी।
29.शोखी से ठाहेरती नहीं कातिल की नजर आज,
ये बर्क-ए-बाला देखिये गिरती है किधर आज।
30.पंखुडियाँ खोलकर कमल का खिलखिलाना,
वैसे घूँघट की आड से तेरा लाजवाब मुस्कुराना।
31.इस प्यार का अंदाज़ कुछ ऐसा है,
क्या बताये ये राज़ कैसा है;
कौन कहता है कि आप चाँद जैसे हो,
सच तो ये है कि खुद चाँद आप जैसा है।
32.लौट जाती है उधर को भी नजर क्या कीजे,
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे।
33.तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है,
तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूँ।
34.नशीली आँखों से वो जब हमें देखते हैं,
हम घबरा कर आँखें झुका लेते हैं,
कौन मिलाये उन आँखों से आँखें,
सुना है वो आँखों से अपना बना लेते हैं।
35.अगर शरार है तो भड़के जो फूल है तो खिले,
तरह तरह की तलब तेरे रंग-ए-लब से है।
36.वो निगाहों से यूँ शरारत करते हैं,
अपनी अदा से भी कयामत करते हैं,
निगाहें उनकी भी चेहरे से हटती नहीं,
और वो हमारी नजरों से शिकायत करते हैं।
37.लोग कहते हैं जिन्हें नील कंवल वो तो क़तील,
शब को इन झील सी आँखों में खिला करते है।
38.उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।
39.तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो।
40.उनकी बातों का दौर
उनकी आवाज का दीवाना
वो दिन भी क्या दिन थे
जब वो पास थे मेरे
और अजनबी था जमाना।
Bhabhi Ki Khubsurati Ki tareef Shayari
41.हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत,
वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी।
42.मैने समझा था कि तू है तो दरख़्शां है हयात,
तेरा ग़म है तो ग़मे-दहर का झगड़ा क्या है,
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात,
तेरी आँखों के सिवा दुनिया मे रक्खा क्या है।
43.तेरी सादगी को निहारने का दिल करता है,
तमाम उम्र तेरे नाम करने को दिल करता है,
एक मुक़्क़मल शायरी है तू कुदरत की,
तुझे ग़ज़ल बना कर जुबां पर लाने को दिल करता है।
44.दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ,
दो-चार दिन रहा था किसी की निगाह में।
45.चुप ना होगी हवा भी, कुछ कहेगी घटा भी,
और मुमकिन है तेरा, जिक्र कर दे खुद़ा भी।
फिर तो पत्थर भी शायद ज़ब्त से काम लेंगे,
हुस्न की बात चली तो, सब तेरा नाम लेंगे।
46.होंठो पे अपने यूँ ना रखा करो
तुम नादान कलम को,
वरना नज़्म फिर नशीली होकर
लड़खड़ाती रहेगी।
47.इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी,
ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी।
48.खूबसूरती ना ही सूरत में होती है
और ना ही लिबास में,
ये तो महज़ जालिम नजरों का खेल है,
जिसे चाहे उसे हसीन बना दें।
49.ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं...
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।
50.जलवे मचल पड़े तो सहर का गुमाँ हुआ,
ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो स्याह रात हो गई।
51.नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिए,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है।
52.अब तक मेरी यादों से मिटाए नहीं मिटता,
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तेरी आँखें।
53.हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना,
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना।
54.हुस्न की ये इन्तेहाँ नहीं है तो और क्या है,
चाँद को देखा है हथेली पे आफताब लिए हुए।
55.ये दिलबरी, ये नाज़, ये अंदाज़, ये जमाल,
इंसान करे अगर न तेरी चाह... क्या करे।
56.तुझको देखेंगे सितारे तो स्याह माँगेंगे,
और प्यासे तेरी ज़ुल्फों से घटा माँगेंगे,
अपने कंधे से दुपट्टे को ना सरकने देना,
वर्ना बूढ़े भी जवानी की दुआ माँगेंगे।
57.कितना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा,
ये दिल तो बस दीवाना है तुम्हारा,
लोग कहते है चाँद का टुकड़ा तुम्हें,
पर मैं कहता हूँ चाँद भी टुकड़ा है तुम्हारा।
58.खूबसूरती ना सूरत में है, ना लिबास में,
ये निगाहें जिसे चाहे हसीन कर दें।
59.उसने होठों से छू कर
दरिया का पानी गुलाबी कर दिया,
हमारी तो बात और थी उसने
मछलियों को भी शराबी कर दिया।
60.उफ्फ ये नज़ाकत ये शोखियाँ ये तकल्लुफ़,
कहीं तू उर्दू का कोई हसीन लफ्ज़ तो नहीं।
भाभी की तारीफ करने की शायरियां
61.तेरी ज़ुल्फ़ों की घटाओं का मुंतज़िर हुआ जाता हूँ,
अब ये आलम है कि बारिश भी सूखी सी लगती है।
62.रूठ कर कुछ और भी
हसीन लगते हो,
बस यही सोच कर
तुमको खफा रखा है।
63.तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा,
चाँद कहता रहा मैं चाँद हूँ... मैं चाँद हूँ...।
64.निगाह उठे तो सुबह हो... झुके तो शाम हो जाये,
एक बार मुस्कुरा भर दो तो कत्ले-आम हो जाये।
65.सरक गया जब उसके
रुख से पर्दा अचानक,
फ़रिश्ते भी कहने लगे
काश हम इंसान होते।
66.तुम हशीन हो के गुलाब जैसी हो,
बहुत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो,
होठों से लगाकर पी जाऊं तुम्हे,
सर से पाँव तक शराब जैसी हो।,
67.ऐ चाँद मत कर इतना गुरुर... तुझमें तो दाग है,
पर मेरे वजूद में जो चाँद सिमटा है वो बेदाग है।
68.ये गेशुओं कि घटायें
ये लबों के महखाने,
निगाह-ए-शौक खुदाया
कहाँ कहाँ ठेहरे।
69.उतरा है मेरे दिल में कोई चाँद नगर से,
अब खौफ ना कोई अंधेरों के सफ़र से,
वो बात है तुझ में कोई तुझ सा नहीं है,
कि काश कोई देखे तुझे मेरी नजर से।
.
70.क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर,
ना जाने हश्र क्या होगा अगर वो मुस्कुराये तो।
71.हया से सर झुका लेना
अदा से मुस्कारा देना,
हसीनो को भी कितना सहल है
बिजली गिरा देना।
72.निगाह-यार पे पलकों की लगाम न हो,
बदन में दूर तलक ज़िन्दगी का नाम न हो,
वो बेनकाब फिरती है गली कूचों में,
तो कैसे शहर के लोगो में कतले आम न हो।
73.मेरी निगाह-ए-शौक भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है।.
74.घनी जुल्फों के साये में चमकता चाँद सा चेहरा,
तुझे देखूं तो कुछ रातें सुहानी याद आती हैं।
75.रुके तो चाँद चले तो हवाओं जैसा है,
वो शख्स धूप में भी छाव जैसा है।
76.तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा।
77.आँखें तेरी हैं जाम की तरह,
एक बार देखूं तो नशा छा जाये,
होंठ तेरे जैसे खिलते कँवल,
बोले तो हर चीज़ महक जाये,
बाल हैं तेरे नागिन जैसे,
जैसे आसमान पे काली घटा छाए,
गालों पे वो गुलाब की सुर्खी,
मुझ को देख के जब तू शरमाये,
तुझको चलता देख के दिलबर,
चाँद भी बदली में छुप जाये।
78.हम तो अल्फाज़ ही ढूढ़ते रह गए,
और वो आँखों से गज़ल कह गए।
79.कितनी खूबसूरत हैं आँखें तुम्हारी,
बना दीजिये इनको किस्मत हमारी,
इस ज़िंदगी में हमें और क्या चाहिए,
अगर मिल जाए मोहब्बत तुम्हारी।
80.यूँ न निकला करो आज कल रात को,
चाँद छुप जायेगा देख कर आप को।
Bhabhi Ki Khubsurati Ki tareef Krne Ki Shayari
81.जरा उतर के देख मेरे दिल की गहराइयों में,
कि तुझे भी मेरे जज़्बात का पता चले,
दिल करता है चाँद को खड़ा कर दूं तेरे आगे,
82.कैदखाने हैं बिना सलाखों के,
कुछ यूं चर्चे हैं bhabhi तेरी आँखों के।
जरा उसे भी तो अपनी औकात का पता चले।
83.सोचता हु हर शायरी पे तेरी तारीफ करु
फिर खयाल आया कहीँ पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए।
84.तेरे हुस्न की तारीफ मेरी शायरी के बस की नहीं
तुझ जैसी कोई और कायनात में बनी नहीं
85. Bhabhi तेरे हुस्न पर तारीफ भरी किताब लिख देता
काश के तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती
86.वो कहती हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ
ए खुदा बस एक दिन आईने को जुबान दे दे
87.तारीफ़ के मोहताज नही होते हैं सच्चे लोग, ऐ दोस्त
असली फूलो पर कभी इत्र छिड़का नहीं जाता
88.तेरे हुस्न पर तारीफ भरी किताब लिख देता
काश के तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती
89.ख्वाहिश ये बेशक नही कि "तारीफ" हर कोई करे
मगर "कोशिश" ये जरूर है कि कोई बुरा ना कहे.
90.मुझको मालूम नहीं हुस़्न की तारीफ,
मेरी नज़रों में हसीन ‘वो’ है, जो तुम जैसा हो,
91.उसने तारीफ़ ही कुछ इस अंदाज से की मेरी,
अपनी ही तस्वीर को सौ दफ़े देखा मैंने!!
92.तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो जाएगी
चाँद की भी कदर कम हो जाएगी
93.लोग भले ही मेरी शायरी की तारीफ न करे
खुशी दुगनी होती है जब उसे कॉपी पेस्ट में देखता हूं
94.तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है,
ख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती है, कौन सा फ़ूल है
95.सभी तारीफ करते हैं, मेरी शायरी की लेकिन
कभी कोई सुनता नहीं, मेरे अल्फाज़ो की सिसकियाँ.
96.ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूं
मौत भी हो जाती है और क़ातिल भी पकड़ा नही जाता
97.एक लाइन में क्या तेरी तारीफ़ लिखू
पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये
98.क्या लिखूँ तेरी सूरत - ए - तारीफ मेँ , मेरे हमदम
अल्फाज खत्म हो गये हैँ, तेरी अदाएँ देख-देख के
99.मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ़" करने वाले.
कोई हमारी मौत की "अफ़वाह" तो फैलाओ यारों
100.यू तारीफ ना किया करो मेरी शायरी की
दिल टूट जाता है मेरा जब तुम मेरे दर्द पर वाह-वाह करते हो
भाभी की खुबसूरती की तारीफ कैसे करें।
101.उनकी तारीफ़ क्या पूछते हो उम्र सारी गुनाहों में गुजरी
अब शरीफ बन रहे है वो ऐसे जैसे गंगा नहाये हुए है
102.प्यार से जो मैंने घूँघट चाँद पर से हटाया था
प्यार का रंग भी उतरकर उसके चेहरे पर आया था
103.घूँघट में इक चाँद था और सिर्फ तन्हाई थी
आवाज़ दिल के धड़कने की भी फिर ज़ोर से आयी थी
104.दुल्हन बन के मेरी जब वो मेरी बाँहों में आयी थी
सेज सजी थी फूलों की पर उस ने महकाई थी
105.कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं
चाहूँ कहना तो
बयां कर सकता नहीं मैं ,
106.Bhabhi तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा,
चाँद कहता रहा मैं चाँद हूँ… मैं चाँद हूँ…।
107.डूब गए थे हम दोनों उस दहकती प्यार की आग में
तोड़ दिया था हम ने कलियों को उसके प्यार के बाग़ में
108.टिका बिंदी , कंगना , पायल सब ने शोर मचाया था
जब उसके शोख बदन को मैंने हाथ लगाया था ,
109.बाँहों में ले कर उसको फिर लबो की लाली चुराई थी
उस सर्द रात में साँसे भी शोला बन कर टकराई थी
110.इश्क के फूल खिलते हैं तेरी खूबसूरत आंखों में..,
जहां देखे तू एक नजर वहां खुशबू बिखर जाए॥….
111.सुबह का मतलब मेरे लिए सूरज निकलना नही,
तेरी मुस्कराहट से दिन शुरू होना है…
112.चांद रोज़ छत पर आकर इतराता बहुत था,
कल रात मैंने भी उसे तेरी तस्वीर दिखा दी.
113.डूबकर तेरी झील सी गहरी आँखों में,
एक मयकश भी शायद पीना भूल जाए.
114.बहुत खुबसूरत है हमारा सनम
खुदा ऐसा चेहरा बनाता है कम
115.आँखों में तेरी कोई करिश्मा ज़रूर है…
तू जिसको देख ले;
वो बहकता ज़रूर है…
116.हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ,
अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी…
117.शायद फिसल जायेगे पहली बार मेरे अरमान भी उस दिन…
क्यूंकि हुस्न उसका उस दिन यारो अल्फाज़ो से परे होगा…
चाँद भी उस दिन कुछ देर बदलो में छुप जाएगा…
क्यूंकी ज़मी पर उस दिन डोली में एक और चाँद सवार होगा.!!!
118.देखे जो आइना भी तो रूठकर बिखर जाये टुकड़ो में…
कुछ ऐसे सजा-सवरा उस दिन मेरी महबूब का रूप सिंगार होगा…
सादगी उसकी इतना कातिल है, उसके हुस्न का आलम यारो…
क्या होगा उस दिन जब वो गहनो से सजकर तैयार होगा.!!
119.क्या हसीन वो शाम होगी, क्या हसीन उस दिन सारा जहां होगा…
लाल सुनहरे जोड़े में सजा उस दिन मेरा यार होगा.!!!
120.मत पूछना मेरी खुशी की इंतेहा क्या होगी उस वक़्त…
क्यूंकी उस दिन खत्म मेरे बरसो का इन्तेजार होगा.!
Bhabhi Ki Khubsurati Ki Tareef Kaise Kre
121.तेरी तरफ जो नजर उठी
वो तापिशे हुस्न से जल गयी
तुझे देख सकता नहीं कोई
तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं
122.अभी भी तेरा हुस्न डालता है मुझको हैरत में
मुझे दीवाना कर देता है जलवा जानेमन तेरा
123.शरीके-ज़िंदगी तू है मेरी, मैं हूँ साजन तेरा
ख्यालों में तेरी ख़ुश्बू है चंदन सा बदन तेरा
124.किसका चेहरा अब मैं देखूं…?
चाँद भी देखा…! फूल भी देखा…!!
बादल बिजली…! तितली जुगनूं…!!
कोई नहीं है ऐसा…! तेरा हुस्न है जैसा…!!
125.मेरा इश्क भी, तेरा हुस्न भी
गजलों में आके घुल गई
मेरी शायरी की किताब तू
कभी खो गई, कभी मिल गई
126.जिस मोड़ पे तू मिल गई
वहां एक नई राह खुल गई
तू नए किरण की बहार है
अब रात भी मेरी ढल गई
127.मेरी निगाह-ए-इश्क भी
कुछ कम नही,
मगर, फिर भी
तेरा हुस्न तेरा ही हुस्न है
128.अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला।,
129.क्या तुझे कहूं तू है मरहबा.
तेरा हुस्न जैसे है मयकदा
मेरी मयकशी का सुरूर है,
तेरी हर नजर तेरी हर अदा
130.दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे
सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे
132.हुस्न वालो को संवरने की जरुरत क्या है,
वो ओ सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं।
133.इलाही खैर हो उलझन पे उलझन भरती जाती है,
न मेरा दम न उनके गेसुओं का ख़म निकलता है,
कयामत ही न आ जाये जो परदे से निकल आओ,
तुम्हारे मुँह छुपाने में तो ये आलम गुजरता है।
134.इलाही खैर हो उलझन पे उलझन भरती जाती है,
न मेरा दम न उनके गेसुओं का ख़म निकलता है,
कयामत ही न आ जाये जो परदे से निकल आओ,
तुम्हारे मुँह छुपाने में तो ये आलम गुजरता है।
135.ये दिल फरेब तबस्सुम ये मस्त नजर,
तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।
136.अदा परियों की सूरत हुर की आँखें गिज़लों की,
गरज मांगे की हर एक चीज़ इन् हुस्न वालों की।
137.आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
138.हुस्न दिखा कर भला कब हुई है मोहब्बत,
वो तो काजल लगा कर हमारी जान ले गयी।
139.तुझको सजने सवारने की जरुरत ही क्या है,
तुझपे सजती है हया भी किसी जेवर की तरह।
140.ऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा,
जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा,
कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे,
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे।
141.वो निगाहों से यूँ शरारत करते हैं,
अपनी अदा से भी कयामत करते हैं,
निगाहें उनकी भी चेहरे से हटती नहीं,
और वो हमारी नजरों से शिकायत करते हैं।
142.तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो।
143.तेरी सादगी को निहारने का दिल करता है,
तमाम उम्र तेरे नाम करने को दिल करता है,
एक मुक़्क़मल शायरी है तू कुदरत की,
तुझे ग़ज़ल बना कर जुबां पर लाने को दिल करता है।
144.अंदाज अपना देखते हैं आईने में वो,
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो।
145.अच्छे लगे तुम सो हमने बता दिया,
नुकसान ये हुआ कि तुम मगरूर हो गए।
146.तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है,
तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूँ।
147.नजाकत ले के आँखों में,
वो उनका देखना तौबा,
या खुदा हम उन्हें देखें,
के उनका देखना देखें।
148.आइने में क्या चीज़ अभी देख रहे थे,
फिर कहते हो खुदा की कुदरत नहीं देखी।
149.इलाही खैर हो उलझन पे उलझन भरती जाती है,
न मेरा दम न उनके गेसुओं का ख़म निकलता है,
कयामत ही न आ जाये जो परदे से निकल आओ,
तुम्हारे मुँह छुपाने में तो ये आलम गुजरता है।
150.दिल तो उनके सीने में भी मचलता होगा,
हुस्न भी सौ सौ रंग बदलता होगा,
उठती होंगी जब भी निगाहें उनकी,
खुदा भी गिर गिर के संभलता होगा।
तैयार थे नमाज़ पे हम सुनके जिक्र-ए-हूर,
जलवा बुतों का देख के नीयत बदल गयी।
151.परवाना पशो-पेश में है जाये तो किस तरफ,
रोशन शम्मा के रूबरू चेहरा है आपका।
152.हटा कर ज़ुल्फ़ चेहरे से,
न छत पर शाम को जाना,
कहीं कोई ईद न कर ले,
अभी रमजान बाकी हैं।
153.नाज़ुक उसके लबों की क्या कहिये,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है।
154.हुस्न वालो को संवरने की जरुरत क्या है,
वो ओ सादगी में भी कयामत की अदा रखते हैं।
155.लौट जाती है उधर को भी नजर क्या कीजे,
अब भी दिलकश है तेरा हुस्न मगर क्या कीजे।
156.अंगड़ाई लेके अपना मुझ पर जो खुमार डाला,
काफ़िर की इस अदा ने बस मुझको मार डाला।
157.साहिबे अकाल हैं आप तो एक मसला हल कीजिये,
रुखे यार नहीं देखा क्या मेरी ईद हो गयी।
158.खिलना कम कम कली ने सीखा है,
उस की आँखों की नीम-ख्वाबी से।
159.दिल में शमा गयी हैं कयामत की शोखियाँ,
दो चार दिन रहा था किसी की निगाह में।
160.मस्ती निगाह ए नाज़ की कैफ ए शबाब में,
जैसे कोई शराब मिला दे शराब में।
161.हटा कर ज़ुल्फ़ चेहरे से,
न छत पर शाम को जाना,
कहीं कोई ईद न कर ले,
अभी रमजान बाकी हैं।
162.तेरे हुस्न को परदे कि जरुरत क्या है,
कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।
163.नजाकत ले के आँखों में,
वो उनका देखना तौबा,
या खुदा हम उन्हें देखें,
के उनका देखना देखें।
164.आफत तो है वो नाज़ भी अंदाज भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।
165.होंठो पे अपने यूँ ना रखा करो
तुम नादान कलम को,
वरना नज़्म फिर नशीली होकर
लड़खड़ाती रहेगी।
166.अंदाज अपना देखते हैं आईने में वो,
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो।
167.परवाना पशो-पेश में है जाये तो किस तरफ,
रोशन शम्मा के रूबरू चेहरा है आपका।
168.अदा परियों की सूरत हुर की आँखें गिज़लों की,
गरज मांगे की हर एक चीज़ इन् हुस्न वालों की।
169.तैयार थे नमाज़ पे हम सुनके जिक्र-ए-हूर,
जलवा बुतों का देख के नीयत बदल गयी।
170.ये दिल फरेब तबस्सुम ये मस्त नजर,
तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।
171.रुके तो चाँद चले तो हवाओं जैसा है,
वो शख्स धूप में भी छाव जैसा है।
172.तुझको सजने सवारने की जरुरत ही क्या है,
तुझपे सजती है हया भी किसी जेवर की तरह।
173.मेरी निगाह-ए-शौक भी कुछ कम नहीं मगर,
फिर भी तेरा शबाब तेरा ही शबाब है।
174.खूबसूरती ना ही सूरत में होती है
और ना ही लिबास में,
ये तो महज़ जालिम नजरों का खेल है,
जिसे चाहे उसे हसीन बना दें।
175.रूठ कर कुछ और भी
हसीन लगते हो,
बस यही सोच कर
तुमको खफा रखा है।
176.ये गेशुओं कि घटायें
ये लबों के महखाने,
निगाह-ए-शौक खुदाया
कहाँ कहाँ ठेहरे।
177.सरक गया जब उसके
रुख से पर्दा अचानक,
फ़रिश्ते भी कहने लगे
काश हम इंसान होते।
178.हया से सर झुका लेना
अदा से मुस्कारा देना,
हसीनो को भी कितना सहल है
बिजली गिरा देना।
179.तुम हशीन हो के गुलाब जैसी हो,
बहुत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो,
होठों से लगाकर पी जाऊं तुम्हे,
सर से पाँव तक शराब जैसी हो।
180.ऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा,
जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा,
कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे,
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे।
181.निगाह-यार पे पलकों की लगाम न हो,
बदन में दूर तलक ज़िन्दगी का नाम न हो,
वो बेनकाब फिरती है गली कूचों में,
तो कैसे शहर के लोगो में कतले आम न हो।
182.तू अपनी निगाहों से न देख खुद को,
चमकता हीरा भी तुझे पत्थर लगेगा,
सब कहते होंगे चाँद का टुकड़ा है तू,
मेरी नजर से चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा।
183.दिल तो उनके सीने में भी मचलता होगा,
हुस्न भी सौ सौ रंग बदलता होगा,
उठती होंगी जब भी निगाहें उनकी,
खुदा भी गिर गिर के संभलता होगा।
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